प्रधानमंत्री किसान संपदा योजना से करीब 5.5 लाख लोगों के लिए पैदा हो रहे हैं रोजगार के अवसर

आज कल मीडिया:
केन्द्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री राधामोहन सिंह ने चंडीगढ़ में भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) द्वारा केंद्रीय कृषि मंत्रालय के सहयोग से आयोजित चार दिवसीय “सीआईआई एग्रो टेक इंडिया के 13 वें संस्करण” के उद्घाटन समारोह को सम्बोधित किया। कृषि मंत्री ने बताया कि 6,000 करोड़ रुपये के आवंटन से प्रधानमंत्री किसान संपदा योजना की शुरुआत की गई है। जिससे एग्रोप्रोसेसिंग क्लस्टरों के फार्वर्ड एवं बैकवर्ड लिंकेज पर कार्य करके फूड प्रौसेसिंग क्षमताओं का विकास किया जा रहा है। इससे जहां 20 लाख किसानों को लाभ मिल रहा है वहीं करीब 5.5 लाख लोगों के लिए रोजगार के अवसर भी पैदा हो रहे हैं।
उन्होंने बताया कि फसल के साथ खेती की ज़मीन पर वृक्षारोपण को प्रोत्साहित करने के लिए ‘हर मेड पर पेड़’ योजना वर्ष 2016-17 में शुरू की गयी, जिसके तहत वर्ष 2018-19 के बजट में 1290 करोड़ रूपए की राशि से राष्ट्रीय कृषि परियोजना तथा राष्ट्रीय बांस मिशन को नए अवतार में प्रारंभ किया गया। साथ ही ‘मधु क्रांति’ के अंतर्गत प्रत्येक राज्य में एक जिले के विकास के बारे में एक रोल मॉडल के रूप में समेकित मधुमक्खीपालन विकास केंद्र की स्थापना भी की जा रही है। इन सभी प्रयासों के चलते शहद का उत्पादन वर्ष 2010-14 के 2,86,950 मी. टन से बढ़ कर वर्ष 2014 -18 के दौरान 3,68,930 मिटन हो गया है।
उन्होंने बताया कि कृषि उपज का समुचित मूल्य दिलाने हेतु राष्ट्रीय इलेक्ट्रॉनिक कृषि मंडी (ई-नाम) एक नवीन मंडी प्रक्रिया है जिसके तहत मार्च, 2018 तक देश भर में 585 मंडियों के एकीकरण का लक्ष्य प्राप्त कर लिया गया है साथ ही 415 मंडियों को ई-नाम प्लेयटफॉर्म से जोड़ा जोड़ने का कार्य प्रगति पर है। उन्होंने जानकारी देते हुए बताया कि Model Contract and Services Act, 2018 के माध्यम से जहां एक तरफ कृषि जींसों का अच्छा दाम किसानों को मिल रहा है, वहीं ग्रामीण क्षेत्रों में नए रोजगार के अवसर भी पैदा हो रहे हैं। एग्रीकल्चर प्रोड्यूस एंड लाइवस्टॉक मार्केटिंग एक्ट (APLM Act), 2017 में निजी क्षेत्र में मंडी विपणन मंडीयार्ड के बाहर बनाने का प्रावधान शामिल किया गया है। Model Agricultural Land Leasing Act, 2016 के माध्याम से भू-धारक वैधानिक रूप से कृषि एवं संबद्ध क्षेत्रों के लिए आपसी सहमति से भूमि लीज पर दे सकते हैं।
केन्द्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री ने आगे बताया कि सरकार की नीतियों से कृषि के क्षेत्र में अभूतपूर्व प्रगति दर्ज हुई है। वर्ष 2017-18 में चौथे अग्रिम अनुमान के अनुसार खाद्यान उत्पादन 284.83 मिटन हुआ है जबकि वर्ष 2010-14 का औसत उत्पादन 255.59 मी. टन था। दलहन के क्षेत्र में भी औसत उत्पादन में 40% की वृद्धि दर्ज करते हुए वर्ष 2010-14 के 18.01 मी. टन के औसत उत्पादन से बढ़ कर वर्ष 2017-18 में चौथे अग्रिम अनुमान के अनुसार दलहन का उत्पादन 25.23 मी.टन हो गया। बागवानी के क्षेत्र में 15.79% की वृद्धि दर्ज हुई है। इसी क्रम में नीली क्रांति के अंतर्गत मत्स्य पालन के क्षेत्र में 26.86% वृद्धि एवं पशु पालन व दुग्ध उत्पादन के क्षेत्र में 23.80% की वृद्धि दर्ज की गई।
श्री सिंह ने बताया कि कृषि लागत में कटौती के लिए मृदा स्वास्थ्य कार्ड व नीम लेपित यूरिया के इस्तेमाल और हर बूंद से ज्यादा फसल संबंधी योजनाओं को लक्षित कर उनका सफल क्रियान्वयन किया जा रहा है। वहीं जैविक खेती पर व्यापक नीति के अंतर्गत पहली बार सरकार ने वर्ष 2014-15 में देश में जैविक खेती को बढ़ावा देने हेतु परम्परागत कृषि विकास योजना (पीकेवीवाई) शुरू की। जिसके तहत 11,891 समूहों (क्लस्टरों) का गठन किया गया एवं जैविक मूल्य श्रृंखला विकास मिशन के अंतर्गत 2,464 किसान हितधारक समूहों (FIGs) का गठन किया गया। कृषि यंत्रीकरण के क्षेत्र में भी 174% की वृद्धि दर्ज करते हुए 2010-14 में 10,12,904 वितरित मशीनों के सापेक्ष में 27,79,184 मशीने वितरित की गई है।